दुर्गा अमृतवाणी भाग ३

जगदम्बा जगतारिणी जगदाती जगपाल
इसके चरणन जो हुए उन पर होए दयाल

माँ की शीतल छाँव में, स्वर्ग सा सुखहोये
जिसकी रक्षा माँ करे , मार सके ना कोय
करुणामयी कापालिनी , दुर्गा दयानिधान
जैसे जिसकी भावना, वैसे दे वरदान

माँ श्री महां - शारदे , ममता देत अपार
हानि बदले लाभ में, जब ये हिलावे तार
जै जै अंबे माँ जै जगदम्बे माँ

नश्वर हम खिलौनों की, चाबी माँ के हाथ
जैसे इशारा माँ करे नाचे हम दिन-रात
भाग्य लिखे भाग्येश्वरी लेकर कलम-दवात
कठपुतली के बस में क्या, सब कुछ माँ के हाथ

पतझड़ दे या दे हमें खुशियों का मधुमास
माँ की मर्जी है जो दे हर सुख उसके पास
माँ करुणा के नाव पर होंगे जो भी सवार
बाल भी बांका होए ना वैरी जो हो संसार
जै जै अम्बे माँ जै जगदम्बे माँ

मंगला माँ के भक्त के, ग्रह में मंगलाचार
कभी अमंगल हो नहीं, पवन चले सुखकार
शक्ति ही को लो शक्ति मिलती इसके धाम
कामधेनु के तुल्य है शिवशक्ति का नाम

जन-जन वृक्ष है एक भला बुरे है लाख बबूल
बदी के कांटे छोड़ के चुन नेकी के फूल
माँ के चरण-सरोज की, कलियों जैसे सुगंध
स्वर्ग में भी ना होगा जो है यहाँ आनंद
जै जै माँ जै जगदम्बे माँ

पाप के काले खेल में सुख ना पावे कोय
कोयले की तो खान में सब कुछ काला होय
निकट ना आने दो कभी दुष्कर मोह के लाग
मानव चोले पर नहीं लगने दे जो दाग
जै जै माँ जै जगदम्बे माँ

नवदुर्गा के नाम का मनन करो सुखकार
बिन मोल बिन दाम ही करेगी माँ उपकार
भव से पार लगाएगी माँ की एक आशीष
तभी तो माँ को खोजते श्री हरी जगदीश

जै जै अम्बे माँ जै जगदम्बे माँ
जै जै अम्बे माँ जै जगदम्बे माँ
जै जै अम्बे माँ जै जगदम्बे माँ
जै जै अम्बे माँ जै जगदम्बे माँ
download bhajan lyrics (984 downloads)