छैने भजे सारी रात भवन पर गाउ मैं खुशियां मनाऊ मैं
माँ के दर पे आके सवाली कभी न खाली जायेगे,
सुख करनी दुःख हरनी माँ से झोली भर के ले जाएगा,
ज्योति जगे दिन रात भवन पर गाउ मैं खुशियां मनाऊ मैं
छैने भजे सारी रात.........
भूल गया जो अपनी मंजिल उसको राह दिखलाती है,
श्रद्धा भाव से जो भी आता उस को गले लगाती है,
भवन पर गाउ मैं खुशियां मनाऊ मैं
छैने भजे सारी रात
कितना सूंदर रूप है माँ का भगतो के है मन को भाता,
आओ माँ की नजर उतारे काला टिका माँ को लगाये,
बोल रहे जय कार भवन पर गाउ मैं खुशियां मनाऊ मैं
छैने भजे सारी रात