जग का हु मैं सताया साई गले लगा लो.
मिटटी में मिल गया हु ये हाथ तुम उठा लो,
जग का हु मैं सताया साई गले लगा लो
माना के तेरी रेहमत के भी नहीं हु काबिल,
तुजसे बिछड़ के मुझको मिलता नहीं है साहिल,
चरणों से दूर रख के इतनी तो सजा दो,
मिटटी में मिल गया हु ये हाथ तुम उठा लो,
जग का हु मैं सताया साई गले लगा लो
ले ले के नाम तेरा देते है लोक ताने,
दिल की लगी को मेरी क्या दुनिया वाले जाने,
दर पे पड़ा हुआ हु लो पार आ करदो,
मिटटी में मिल गया हु ये हाथ तुम उठा लो,
जग का हु मैं सताया साई गले लगा लो
तेरे सहारे बेडी नदियां में छोड़ दीं है ,
दुखो की अँधियो ने पतवार तोड़ दीं है,
बन की खिवैया हर्ष की नैया को तुम स्वारो,
मिटटी में मिल गया हु ये हाथ तुम उठा लो,
जग का हु मैं सताया साई गले लगा लो