तेरी भीड़ में मैं खो जाता हु,
बाबा दर्शन तेरे मैं करना पाता हु
शक है बाबा मुझको के तू क्यों मुझसे नराज है,
हर ग्यारस को खाटू बुलाता इस में भी कोई राज है,
तेरी चौकठ को चुम वापिस मैं जाता हु,
तेरी भीड़ में मैं खो जाता हु,
मिल जाता परशाद तुमहरा तेरे द्वार से बाबा,
कुछ खा लेता खाटू में कुछ घर ले जाता बाबा,
तेरा दीवाना श्याम तुझपे इतराता हु,
तेरी भीड़ में मैं खो जाता हु,
मुझसे पूछे मेरे बचे किये थे पापा दर्शन,
खुश हो कर के कहता मुझको श्याम ने दिए है दर्शन,
कोई टोके न मुझको मैं लाज बचाता हु ,
तेरी भीड़ में मैं खो जाता हु,
इन गलियों का आशिक मैं हु देख तेरा नजराना,
तेरे मेरे दिल की बाते और किसे समजाना,
प्रेम सजन मिलन दीपक मिलने आता हु ,
तेरी भीड़ में मैं खो जाता हु,