जैसे राधा ने माला जपि श्याम की
मैंने ओहडी चुनरियाँ तेरे नाम की,
प्रीत क्या जुडी डोर क्या बंधी बिन यत्न बिना यत्न हो गई मैं नई,
बिन बोल के मैं बिकी बिना धाम के,
जैसे राधा ने माला जपि श्याम की
मैंने ओहडी चुनरियाँ तेरे नाम की,
क्या तरंग है क्या उमंग है मोरे अंग अंग रचा पी का रंग है,
शर्माए कैसे कहु बात श्याम की,
जैसे राधा ने माला जपि श्याम की
मैंने ओहडी चुनरियाँ तेरे नाम की,
पा लिया तुझे पाई हर ख़ुशी,
कहु बार बार चडू तेरी पालकी,
सुबह शाम की प्यास बड़े काम की,
जैसे राधा ने माला जपि श्याम की
मैंने ओहडी चुनरियाँ तेरे नाम की,