निहारु मैं सुबहो शाम तुझको दीवानी मैं तेरी गिरधारी,
निहारु मैं दिन रात तुझको है मूरत मन में तिहारी,
ओ कान्हा तेरी बंसी की धुन बड़ी प्यारी,
जगत में तू ही मीत साँचा है साँची तुझसे ही यारी,
क्या था पहने कल क्या होगा,
सब घट घट की तू ही जाने,
तूने बनाई है ये दुनिया,
इसे चलना तू ही जाने,
ओ कान्हा तुझपे छोड़ी ये चिंता सारी,
समय को तू ही नचाये के ऊँगली पे ओहि चकारधारी,
निहारु मैं सुबहो शाम तुझको दीवानी मैं तेरी गिरधारी,