तर्ज चुप गया कोई रे दूर से पुकार के
श्याम थारी चौखट पे आयो हु हार के
लायक बनालो महाने, थारे दरबार के
लायक बणाल्यो महाने.................
हारयोडा का साथी थाने,साथी बतावे हे
देख लायो अट्ठीने कानी लाज महारी जावे हे
कदसे खड्यो हु बाबा,हाथ पसार के
लायक बणाल्यो महाने................
थक सो गया हु बाबा,जग के झमेले में
जियो घबरावे महारो,सोच के अकेले में
कालजे लगोले अब थे,अवगुण बिसार के
लायक बणाल्यो महाने....................
सुख में तो यो जग सारो,साथ निभावे हे
पण दुखड़े में कोई,निडे नहीं आबे हे
डगमग हे नैया म्हारी,बिन पतवार के
लायक बणाल्यो महाने...............
थारो साथ पाकर में भी जिनो सिख जाउगो
थे भी ठुकराओगए तो जी नहीं पाउगो
हार के आयो हे बिन्नू,द्वारे सरकार के
लायक बणाल्यो म्हाने...............