ऐसी प्रीत लगी है करने राधा लगी है श्याम पे मरने,
जाना नन्द नगरी में आज लागि सजने और सवरने,
केश पे गजरा आंख पे कजरा लगा ले होठो पे लाली,
मोहन तू है सदा बोला कर के वो शृंगार वो सोलह,
राधा श्याम मिलन चाली,
काले काले केश देखके सावन गिर गिर आया,
माथे की बिंदियां के आगे चंदा भी शरमाया,
नाक में नथनी कान में बुजलि गले में माला थी डाली,
मोहन तू है सदा बोला कर के वो शृंगार वो सोलह,
राधा श्याम मिलन चाली,
कमर में चांदी वाल तागड़ी बोल रही चंचल,
कदम कदम में पायल के घुंगरू भी करते खन खन,
नैनो के तीर दे सीना चीर वार न जाएगा खाली,
मोहन तू है सदा बोला कर के वो शृंगार वो सोलह,
राधा श्याम मिलन चाली,
सच्ची जो हो प्रीत तो उस में आती वादा है,
श्याम से पहले इसी लिए बोली जाती राधा है,
फौजी सुरेश कटे गे कलेश जो पी ले भगति की प्याली,
मोहन तू है सदा बोला कर के वो शृंगार वो सोलह,
राधा श्याम मिलन चाली,