गजबण खाटू नै चाली

चुनरी जयपुर से मंगवाई ,
हाथ में श्याम की ध्वजा उठाई,
बना के झोला कुरता पयामा साथ में अपने धनि ले आई,
क्या होली चार करा शृंगार बिंदी माथे पे लगा ली,
श्याम धनि के रंगी रंग में भगता के टोली में संग में,
गजबण खाटू नै चाली नार मेरी खाटू में चाली

हाथ में लेकर ध्वजा श्याम की बोलती जा जैकार,
जय श्री श्याम जय श्री श्याम गूंज रहा जय कारा,
मन में चडरी कदे न थक री माने न काली,
श्याम धनि के रंगी रंग में भगता के टोली में संग में,
गजबण खाटू नै चाली नार मेरी खाटू में चाली

जाके माथा टेके गी ये चौकठ पे खाटू की,
छप्पन भोग लगा के लडू भगता में बांटे गे,
लगा वे भोग मार के ढ़ोग झुक जावे मेवे की थाली,
श्याम धनि के रंगी रंग में भगता के टोली में संग में,
गजबण खाटू नै चाली नार मेरी खाटू में चाली

सुरेश मान सब की सुनता सेठा का सेठ संवारा,
मुकेश फौजी बिलकुल भी न करता लेट संवारा,
आके शरण में जो गिरे चरण में लगाए ताली पे ताली,
श्याम धनि के रंगी रंग में भगता के टोली में संग में,
गजबण खाटू नै चाली नार मेरी खाटू में चाली

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