रोती थी कभी अँखियाँ हमारी

रोती थी कभी अँखियाँ हमारी
श्याम ने दी हैं खुशियां सारी
रंग लिया है अपने रंग में
महक रही है ये फुलवारी
साथी है साथी कन्हैया है मेरी
नैया का मांझी है मांझी ये साथी

जब से शरण में आये हैं हम
तुमने मिटाये सारे भरम
आई है बहारें आई हैं
मस्ती के नज़ारे लायी हैं
साथी है साथी कन्हैया है मेरी
नैया का मांझी है मांझी ये साथी


क्या क्या बताऊँ क्या क्या किया
औक़ात से भी ज़्यादा दिया
चलता है यहाँ जब चलता है
खोता भी वो सिक्का चलता है

भाग्य हमारा इतना बड़ा
ठाकुर से मोहित रिश्ता जुड़ा
कृपा है श्याम की कृपा है
जीवन ये हमारा सुधरा है
साथी है साथी कन्हैया है मेरी
नैया का मांझी है मांझी ये साथी
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