उधो गए द्वारका धाम श्याम,
ब्रिज मोहे उडी उडी खावे रे,
रोये रोये मेरे सूखे नैना,
बिना श्यामा मोहे धेनु प्रे न,
मोपे न हॉवे कशु काम,
ब्रिज मोहे उडी उडी खावे रे,
चिठ्ठी लेके द्वारिका जइयो,
मेरे मोहन को जाई बतियो,
राधा रोवे ले ले नाम
ब्रिज मोहे उडी उडी खावे रे,
बछड़ा तडपे रोवे गईयाँ,
कहा गए म्हारे कृष्ण कन्हियाँ,
खुब्त सुख गयो है श्याम,
ब्रिज मोहे उडी उडी खावे रे,
ग्वाल बाल गोपिका तरसे,
अखियाँ से वो अनसु बरसे,
रोवे सब रोवे ब्रिज धाम,
ब्रिज मोहे उडी उडी खावे रे,