ग्यारस के ग्यारस बुलाया करो,
बाबा तरस हम पे खाया करो,
हमे प्रेम का रस पिलाया करो ,
बाबा तरस हम पे खाया करो,
मेरी बात पे ध्यान दो सँवारे,
ये नैना है दीदार के वनवारे,
है सब याद हम को बुलाते हो क्यों,
बुलाना हमे भूल जाते हो क्यों,
यु न हमे आजमाया करो,
बाबा तरस हम पे खाया करो,
ये ग्यारस का मेला बड़ा ख़ास है,
जो है आप का आप के पास है,
यह हम हमेशा हो ये आस है,
ये दिल अब न तोड़ो गे विश्वाश है,
कभी तो कहा मान जाय करो,
बाबा तरस हम पे खाया करो,
तुम्हारी लगन में जब से मगन
फागुन के मेले में लगता है मन,
सुनाने भी होते है बाबा तुम्हे
तुम्हारे लिए जो लिखे है भजन,
हमे पास अपने बिठाया करो,
बाबा तरस हम पे खाया करो,