परिवार मेरा पल रहा है

बाबा तुम्हारे आसरे मेरा काम चल रहा है,
तेरी किरपा से ही तो सँवारे परिवार मेरा पल रहा है,

मजबूरियों में मैं जी रहा था,
कड़वी दुखो की दवा पी रहा था,
कभी इस दर पे कभी उस दर पे मारा मारा मैं फिर रहा था,
तू जो मिला हुआ है भला  खोटा सिक्का खूब चला,
बिन मांगे ही सब मिल रहा है
परिवार मेरा पल रहा है,

किरपा की ऐसी बरसात कर दी पूरी मेरी तूने हर बात कर दी,
कहलता हु मैं अब मैं श्याम प्रेमी ऊंची तूने मेरी जात करदी
ये सिलसिला चलता रहे टुकड़ा तेरे दर से मिलता रहे,
तेरी करुणा से जग चल रहा है,
परिवार मेरा पल रहा है,

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