आओ श्याम जी कन्हैया नंदलाल जी कीर्तन

आओ श्याम जी कन्हैया नंदलाल जी,
मेरे प्राणो से प्यारे गोपाल जी ।

मैं राह ना जानू प्रेम की, सांवरिया चित्त चोर
दो ऐसा संगीत कछु, मेरा होव हृदय विभोर
मेरा होव हृदय विभोर, बहे आख्यान रास धरा,
केशव कलिमल हरण नाम का मिले सहारा

आओ श्याम जी कन्हैया नंदलाल जी,
मेरे प्राणो से प्यारे गोपाल जी ।

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