बंसी वाले झलक दिखला जा,
प्यासे नैनो की प्यास बुझा जा,
उझडी सी झोंपड़ी में बुलाती हूँ तुझे श्याम,
विरहनो में मेहमान बनाती हूँ तुझे श्याम,
अगर तुझको गरीबो की गरीबी से प्यार है,
तो मुझ गरीब को भी तेरा इंतज़ार है,
दिल के दर्द को आकर मिटाजा,
प्यासे......
वंदन के लिये वैद का साधन भी नहीं है,
पूजन के लिए धूप और चन्दन भी नहीं है,
अर्पण करो तो क्या करू दिल फुल भी नहीं,
भोजन धरू तो क्या धरू कंदमूल भी नहीं,
सुखी भाजी का भोग लगा जा,
प्यासे......
पूजा भी करू की तो मैं इस्टोर करूगी,
धन हीनता की धुप सुलगा के करुगी,
दुःख दोष के दुर्भाग्य का दूंगी मैं दीप दान,
मैं वेद निर्बलो की दशा पीडितो का पान,
ऐसे पूजन का मान बड़ा जा,
प्यासे......