जिधर भी ये देखे जिधर भी ये जाये,
तुझे ढूंढ़ती है ये पागल निगाहे,
मैं ज़िंदा हु लेकिन कहा ज़िंदगी है,
मेरी ज़िंदगी तो कहा खो गई है,
तू जो नहीं है तो कुछ भी नहीं है,
ये माना के महफ़िल ज़ाहा है हसी है,
तू जो नहीं है तो कुछ भी नहीं है,
समज में ना आये ये क्या माजरा है,
तुझे पा के दिल में ये खाली सा क्या है,
तू हर वक़्त दिल में कोई बेतली है,
क्यों वक़्त सीने में रहती कमी है,
तू जो नहीं है तो कुछ भी नहीं है,