आंबे जगदम्बे तेरी जय हो भवानी माँ
जग्जनी मैया मेरी रखना सिर पर हाथ भवानी
पर्वत ऊपर माँ तेरा है पावन दरबार,
माँ दुर्गा बेठी याहा कर के सिंह सवार,
तीन लोक नो खंड में ना कोई ऐसा द्वार,
रहे जगत जनी याहा भाहे करुना की धार,
लाल चुनर बिंदियाँ तेरी मेहँदी हाथ की लाल
भगतन हित माँ सेहज सहज दुशमन को विकराल,
जब आये संकट कोई जाते हो सब हार,
ऋषि मुनि और देवता तुमसे करे पुकार,
मधुप कतब दानव करे इस जग में उत्पाद,
जाने सारे भक्त और मरे तुम्हरे हाथ,
शुंभ निशुभ ने ना सुनी देवो की ललकार,
तुमने ही उन का किया मैया जी संघार ,
अग्नि पवन वायु धरा और पंचम आकाश,
सब तेरे आधीन माँ सब में तेरा वास
करे भगत जो आरती अगर कपूर
भर देती भण्डार माँ होते संकट दूर,
तेरी किरपा से जागा माँ मन में ये विश्वाश,
रश्मी भी गाने लगी लिखने लगा सुभाष,