दो प्रेमी जब श्याम के

दो प्रेमी जब श्याम के मिलते प्रेम को और बड़ाते है,
दोनों के दिल में है संवारा दिल से दिल मिल जाते है

हर हाल में खुश रेहते इनकी रजा में राजी है
है खुशमिजाज हम भी हमारा श्याम मिजाजी है
श्याम की बातो में मन लगता इन में ही खो जाते है,
दोनों के दिल में है संवारा दिल से दिल मिल जाते है

इक प्रीतम से दोनों इक प्रीत निभाते है
ये प्रीत अनोखी है जग को बतला ते है
जलते नही वो इक दूजे से प्रेम का पाठ पड़ा ते है
दोनों के दिल में है संवारा दिल से दिल मिल जाते है

ऐसे मिलते दोनों जैसे पहचान है जन्मो से
सच कहू तो एसी प्रेमी मिलते अच्छे कर्मो से ,
ऐसे प्रेमी पाकर शिवम् दुनिया में इतराते है,
दोनों के दिल में है संवारा दिल से दिल मिल जाते है
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