माँ की धुन में रेहता हु जय माँ जय माँ केहता हु
हर पल माँ का शुकर मनाऊ,
माँ की महिमा केहता हु
माँ की धुन में रेहता हु जय माँ जय माँ केहता हु
माँ के नाम से नाम है मेरा माँ से ही पहचान है
कंकर से मुझे हीरा बनाया ये माँ का एहसान है
माँ की नाम की पावन धारा के संग संग में बेहता हु
माँ की धुन में रेहता हु जय माँ जय माँ केहता हु
जन्म जन्म गुण गान करू मैं बस इतना वरदान दो
मैं अज्ञानी कुछ न जानू मुझको दया का दान दो
हाथ जोड़ कर करू विनती सिर झुका कर केहता हु
माँ की धुन में रेहता हु जय माँ जय माँ केहता हु
कमी नही फिर कोई आई जब से माँ का दास हुआ
टूटी आस संदीप न कोई पूरण हर विश्वाश हुआ
चाहो तो ये खुद अजमा लो सची बात मैं केहता हु
माँ की धुन में रेहता हु जय माँ जय माँ केहता हु