साखी
साजन प्रीत लगाय के,दूर देश मत जाओ।
बसो हमारी नगरी में,हम मांगे तुम खाओ।।
हाल मेरे दिल का तमाम लिख दे।
चिट्ठी जरा सैंयां जी के नाम लिख दे।।
हाल मेरे दिल का तमाम....
लिख दे सांवरिया को जिया बेकरार है।
अंखियों में भीगी भीगी कजरे की धार है।।
होती नहीं सुबह ऐसी शाम लिख दे।
चिट्ठी जरा सैंयां जी....
मुझको सताया पीया सबसे कहूंगी।
एक दिन का बदला मैं गिन गिन के लूंगी।।
नाम तेरा होगा बदनाम लिख दे।
चिट्ठी जरा सैंयां जी....
जाके परदेश मेरी याद भी न आई है।
कहता जमाना तेरा पीया हरजाई है।।
मेरा उनको फिर भी सलाम लिख दे
चिट्ठी जरा सैंयां जी....
हाल मेरे दिल का तमाम लिख दे।
चिट्ठी जरा सैया जी के नाम लिख दे।।
।डॉ सजन सोलंकी।