बाबा ये नैया कैसे डगमग डोली जाये,
बिन मजी पतवार के इसको तू ही पार लगाए
दूर दूर नहीं दिखे किनारा लेहरे भी विसराये,
बादल भी है गरज रहे और मुझको रहे डराए,
जब के मैं सोच रहा तू अब आये तब आये,
बाबा ये नैया कैसे डगमग डोली जाये
दुनिया है एक रंग मंच तू इसका निदेशक,
तू ही बनाये तू ही मिटाये तू ही इसका विषयष,
फिर क्यों ये तेरे हाथ के पुतले मुझको आंख दिखाए,
बाबा ये नैया कैसे डगमग डोली जाये
तुझको ही मैं समजू अपना बाकि सब है पराये,
तेरे हाथो सब कुछ सम्बव तू ही लाज बचाये,
करदे एक इशारा नैया पार मेरी हो जाये,
बाबा ये नैया कैसे डगमग डोली जाये
तीन बाण तरकश में तेरे चले तो ना रुक पाए,
बेहड़े तुम पतों की तरह फिर कोई भी न बच पाए
बेहदे तुम निर्मल की बिपदा पास मेरे जो आये,
बाबा ये नैया कैसे डगमग डोली जाये