शिर्डी धाम की बात निराली दर से कोई लौटा न खाली
सिलसला चलता है यही सुबहो शाम का
लख वारी करो शुकराना साईं धाम का
सारे जग का पालनहारा मेरा भोला साईं
है बसेरा जिनका शिर्डी धाम द्वारका माई
इट का तकियां ले करता आराम था
लख वारी करो शुकराना साईं धाम का
एसी महिमा की बलिहारी शिर्डी वाले की
सिर पे छैइयां रेहमत की सब के रखवाले की
उधि का दुःख हरता तमाम का
लख वारी करो शुकराना साईं धाम का
सागर को भव पार लगाया साईं साईं गाया
मिटटी को कुंदन कर दे ये साईं का फरमाया
पंडित भी है दीवाना साईं धाम का
लख वारी करो शुकराना साईं धाम का