रामनाम गुण गायेजा, श्यामनाम गुण गायेजा।
सुमिरण करले ध्यान लागाले,जीवन सफल बनायेजा।।
तेरा मेरा मेरा तेरा करके उमर गँवाई।
लाख करोड़ी दौलत पाई फिर भी शांति न आई।।
रामनाम के हीरे मोती पाले और लुटायेजा।।
जिसको कहता तू नित अपना वो सब झूठे नाते।
अन्त समय जब आता है तब कोई न साथ निभाते।।
दया धरम कर पुण्य कमाले प्रभु से नेह लगाएजा।।
दीन दुखी की सेवा करके प्रभु को पास बुलाले।
तीरथ न जा गंगा मत नहा मन का मैल छुडाले।।
रामनाम की निर्मल धारा वा में गोते लगायेजा।।
सुख दुख देने वाला वो है कर्म जो तूने आप किये।
करी शिकायत झूठे जग से व्यर्थ ही तूने विलाप किये।
कर 'अनुरोध' पतित पावन से तेरा दुख मिट जाएगा।।