हर लम्हा गुजरता है खता वार हमारा
मरना भी अब तो मरना है दुश्वार हमारा
हमने तो सिर्फ आस लगाई है हरी से
है उसके सिवा कौन मददगार हमारा
इतनी जल्दी करो ना जाने की
सांस रुक जाएगी दीवाने की
इतनी जल्दी करो ना जाने की .........
आप आए बहार आई है
जागी किस्मत गरीब खाने की
इतनी जल्दी करो ना जाने की..........
आओ मेरे करीब आ जाओ
आरजू है गले लगाने की
इतनी जल्दी करो ना जाने की..........
रूठना है तो रूठ जाओ तुम
हमको फुर्सत नहीं मनाने की
इतनी जल्दी करो ना जाने की..........
धड़कने और बढ़ गई दिल की
क्या जरूरत थी मुस्कुराने की
इतनी जल्दी करो ना जाने की.........
सिंगर भरत कुमार दवथरा