तू छोड़ फिकर चल खाटू में दिलदार सांवरा रहता है,
दातार नहीं इसके जैसा ये सारा जमाना कहता है,
तू छोड़ फिकर चल खाटु में दिलदार सांवरा रहता है,
तिरलोक पे हुकुम चले इसका ये तीन बाण का धारी है,
ये लख लख देता है सबको कहलाता लखदातारी है,
मेरे श्याम धणी के होते हुए तू दर दर काहे भटकता है,
तू छोड़ फिकर चल खाटु में...............
दुःख दर्द नहीं टिक पाते यहाँ मेरे श्याम का ऐसा द्वारा है,
ना जाने कितनी बिगड़ी हुई किस्मत को इसने संवारा है,
सभी श्याम प्रेमियों के ऊपर यहाँ प्यार ही प्यार बरसता है,
तू छोड़ फिकर चल खाटु में...........
उसका जीवन खुशियों से भरा जिसे श्याम का मेरे प्यार मिला,
करी ऐसी कृपा वरदानी ने विश्वास का ऐसा फूल खिला,
अब आँख में आंसू आते नहीं कुंदन तो केवल हँसता है
तू छोड़ फिकर चल खाटु में........