फागुन की रुत ऐसी आई है खाटू में मस्ती छाई है,
आये है दीवाने तेरे द्वार संवारे हमे दर्शन दो 
हर गलियों में संवारे लग रहे जयकारे है 
भगती भाव में डूब के नाच रहे है सारे है 
आके तू भी संग नाच ले 
अब करो न नखरे हजार संवारे हमे दर्शन दो 
किस्मत वालो को ही बाबा अपने दर पे बुलाता है 
श्याम नाम के प्रेम से वो तो श्याम प्रेमी बन जाता है 
हाथो में निशान ओर श्याम नाम गूंजे है चारो और 
संवारे हमे दर्शन दो 
भूल न जाना सांवरियां वनीत की अरदास है 
तेरे खाटू की बाबा बात ही कुछ ख़ास है 
दर पे बुलाना हर साल रे लाये है मन की पुकार 
संवारे हमे दर्शन दो