आज थलवट धरा ऊपर,
भलो उग्यो भाण जी,
आज थलवट धरा ऊपर,
भलो उग्यो भाण जी,
आदि शक्ति हिंगला चा,
अवतरया है आण जी।
चारणा सो आप शाशन,
जगे जप री जाण जी,
मेहो देवल पिता माता,
तपस्या रे ताण जी,
चौदह सो माल में माँ,
ऐसी सुख लान जी,
तिथि सप्तम वार शुकर,
लगन आज लिखवान जी,
आज थलवट धरा ऊपर,
भलो उग्यो भाण जी,
देवता संग देव आए,
बैठ कर विमाण जी,
आई छांया अंबर ऊपर,
फुलड़ा बरसाण जी,
आज थलवट धरा ऊपर,
भलो उग्यो भाण जी,
जनम लीन्हो जगत जननी,
करण जग कल्याण जी,
करे सोहन घणे कोटा,
पाण निज बखान जी,
आज थलवट धरा ऊपर,
भलो उग्यो भाण जी,