इंद्र ने घोटा धाक दिया है इन्दरानी ने तारे
ओड चुनरिया मैया निकली धरती रूप निहारे
लेहर लेहर लहराए चुनरिया,
इस चुनरिया को देवो ने सतरंगी कर ढाला
लक्ष्मी जी ने माँ के गले में ढाली पुष्प की माला
धरती झूमे अम्बर नाचे झोंके पवन के गाये
लेहर लेहर लहराए चुनरिया,
माँ की चुनरी देख के ब्रह्मा पुष्पों की वर्षा करते,
देवी देवता मिल कर सारे माँ का वंदन करते
माँ बलशाली पालन हारी रुद्रानी कल्याणी
लेहर लेहर लहराए चुनरिया,
इस चुनरी को शिव शंकर ने खुशबु में डुबोया है,
इस चुनरी को माँ गोरी ने गंगा जल में धोया है
इंद्र दनुष के रंगों सी ही लगती दुर्गा प्यारी
लेहर लेहर लहराए चुनरिया,