केवट कथा

प्रभु चरणन की महिमा न्यारी,
इन चरणन पे जाऊ बलिहारी।


धन्य में केवट भाग्य सराहू ,
जो जग के प्रतिपालक है,
आज सुअवसर मोहे मिला है,
मैं तर जाऊ इस जल से।
चरणामृत ये पीकर मैं
सुख जीवन में उतारू।
मैं केवट भाग्य सराहू.....


धन्य में केवट भाग्य सराहू,
मेरे प्रभु श्री राम को मैं,
गंगा पार कराऊ।
आज मैं आपका बना खवईया,
कल मेरे तुम बन जाना,
मैं तोहे गंगा पार कराऊ,
तुम भव पार कराना।
हे करुणामय दयानिधि,
बस इतना मैं चाहु।
मैं केवट भाग्य सराहू.....
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