तर्ज़: बरेली के बाजार में झुमका गिरा रे
यशोदा तेरे लाल ने मोरी मटकी फोरी रे
मटकी फोरी ,मटकी फोरी,मटकी फोरी होये होये,
मोरी मटकी फोरी रे,
यशोदा तेरे लाल ने मोरी मटकी फोरी रे II
घर से बाहर जब भी निकलू मैं तो भरने पानी,
बांह पकड़ के रस्ता रोके , करता है मनमानी ,
छेड़ मुरलीआ बहुत सातवे ,कर दे हमें दीवानी,
मैया तेरा कान्हा हम संग करता है मनमानी,
हाँ करता है मनमानी,
मोरी मटकी फोरी रे,यशोदा तेरे लाल ने मोरी मटकी फोरी रे II
मैया तेरा लाला कपटी, छलिया मन का काला ,
बहुत दुखी हैं इससे ब्रज की, हर नारी हर बाला ,
बरबस हम संग रास रचावे , तेरा यह गोपाला,
कर दे सुबह से शाम ये मैया , कैसा पड़ा है पाला,
हाँ कैसा पड़ा है पाला,
मोरी मटकी फोरी रे,यशोदा तेरे लाल ने मोरी मटकी फोरी रे ी
बिना बुलाये घर घर डोले , मैया तेरा लाला,
करे चाकरी ब्रज गोपिन की संग में लेके ग्वाला,
चितवन में बस गया है मैया, जपू नाम की माला,
सुध बुध अपनी खोयी मैं तो , पागल है कर डाला,
हाँ पागल है कर डाला,
मोरी मटकी फोरी रे,यशोदा तेरे लाल ने मोरी मटकी फोरी रे II
भजन रचना : ज्योति नारायण पाठक