बड़ी देर भई नंदलाला तेरी राह तके बृज बाला

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥

बड़ी देर भई नंदलाला, तेरी राह तके  बृज बाला ।
ग्वाल बाल एक एक से पूछें, कहाँ हैं मुरली वाला ॥

कोई ना जाए कुञ्ज गलिन में तुझ बिन कालिया चुनने को ।
तरस रहे हैं यमुना के तट धुन मुरली की सुनने को ।
अब तो दरस दिखा दे नटखट क्यूं दुविदा में डाला रे ॥

संकट में हैं आज वो धरती जिस पर तुने जनम लिया ।
पूरा करदे आज वचन वो गीता में जो तुने दिया ।
कोई नहीं हैं तुझ बिन मोहन भारत का रखवाला ॥
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