मै अरज करू गुरा थाने चरणा में राखो म्हाने।
हेलो प्रकट सुनो चाहे छाणे, मारी लाज शरम सब थाने।
ये भाई बंधु सुत माता मारे संग चले नही साथा॥
सब स्वारथ का है नाता, गुरू तारण तिरण तुम दाता।
ये भवजल भरियो भारी, दाता सुजत नाही किनारों॥
मै डुब रहयो मझधारो, दाता दिल में दया बिचारो।
ये संत बड़ा उपकारी है, जीवों का हितकारी॥
म्हाने आयो भरोसो भारी नही छोडु शरण तुम्हारी।
ये तन मन धन गुरा थारो, चाहे शिस काट लो म्हारो॥॥
यू दरिया दास ऊचारो मै चाकर हुँ चरणारों॥॥