( झुठी देखी प्रित जगत की,
झुठा ये संसार
झुठे रिश्ते नाते देखे,
झुठा इनका प्यार )
प्रभु चरणों में लग रे मनवा,
प्रभु चरणों में लग
स्वार्थ के सब साथी, मनवा रे
स्वार्थ के सब साथी
दिया जले चाहे बाती,
स्वार्थ के सब साथी, मनवा रे
स्वार्थ के सब साथी....
दो दिन का है ये जग मेला,
मत करियो इनसे मन मैला
कोई नहीं तेरा साथी, मनवा रे
स्वार्थ के सब साथी
दिया जले चाहे बाती, मनवा रे
स्वार्थ के सब साथी....
हरि का भजन कर, छुट ईस घात से,
प्रभु सुमिरंन कर, छुट व्यर्थ बात से,
नाम ही इक तेरा साथी, मनवा रे
स्वार्थ के सब साथी, मनवा रे
दिया जले चाहे बाती
स्वार्थ के सब साथी....
पागल मन ना, जोड़ इस संसार से
प्रित बड़ा केवल, हरि के नाम से
रसिका पागल रहे दिन राती, मनवा रे
स्वार्थ के सब साथी, मनवा रे
स्वार्थ के सब साथी,
प्रभु चरणों में लग रे मनवा,
प्रभु चरणों में लग
स्वार्थ के सब साथी, मनवा रे
स्वार्थ के सब साथी......