खाक से उठाया आपने,
मेरे सांवरे,
अपना बनाया आपने,
मेरे सांवरे,
खाक से उठाया आपनें,
मेरे सांवरे.......
सोचता हूँ श्याम बिना,
जिंदगी ये क्या होती,
गम की काली रातों की,
सुबह नहीं होती,
अंधेरों से मुझको,
तुमने निकाला,
जीवन में आया,
बनके उजाला,
खाक से उठाया आपनें,
मेरे सांवरे……
अपना नहीं था कोई,
अपनों का मेला था,
रिश्तों की भीड़ में,
मैं रह गया अकेला था,
बनकर जो आया,
अपना मेरा,
भूलूँ मैं कैसे कर्जा तेरा,
खाक से उठाया आपनें,
मेरे सांवरे……
बस एक अर्जी ये ही,
मुझको निभा लेना,
प्रेम से कन्हैया थोड़ा,
मुस्कुरा देना,
चरणों में गुजरे,
जीवन ये सारा,
दीपक रहे ना,
कोई भी हारा,
खाक से उठाया आपनें,
मेरे सांवरे……