सुनो जी भैरव लाडले, कर जोड़ कर विनती करूँ
कृपा तुम्हारी चाहिए, में ध्यान तुम्हारा ही धरूँ।।
मैं चरण छूता आपके, अर्जी मेरी सुन सुन लीजिए,
मैं हूँ मति का मंद मेरी, कुछ मदद तो कीजिए,
महिमा तुम्हारी बहुत कुछ, थोड़ी सी मैं वर्णन करूँ,
सुनो जी भैरव लाडले, कर जोड़ कर विनती करू।।
करते सवारी श्वानकी, चारों दिशा में राज है
जितने भूत और प्रेत, सबके आप ही सरताज हैं,
हथियार है जो आपके, उनका क्या वर्णन करूँ,
सुनो जी भैरव लाडले, कर जोड़ कर विनती करूँ।।
माताजी के सामने तुम, नृत्य भी करते हो सदा,
गा गा के गुण अनुवाद से, उनको रिझाते हो सदा,
एक सांकली है आपकी, तारीफ़ उसकी क्या करूँ,
सुनो जी भैरव लाडले, कर जोड़ कर विनती करूँ।।
बहुत सी महिमा तुम्हारी, मेहंदीपुर सरनाम है,
आते जगत के यात्री, बजरंग का स्थान है,
श्री प्रेतराज सरकार के, मैं शीश चरणों मैं धरूँ,
सुनो जी भैरव लाडले, कर जोड़ कर विनती करूँ।।
निशदिन तुम्हारे खेल से, माताजी खुश होती रहें,
सर पर तुम्हारे हाथ रख, आशीर्वाद देती रहे,
कर जोड़ कर विनती करूँ, और शीश चरणों में धरूँ,
सुनो जी भैरव लाडले, कर जोड़ कर विनती करूँ,
कृपा तुम्हारी चाहिए, में ध्यान तुम्हारा ही धरूँ.....