मेरी तुमसे डोर जुड़ गयी रे

जब से श्याम दर्श मिला,
मन ये मेरा खिला खिला,
मेरी तुमसे डोर जुड़ गयी रे,
मेरी तो पतंग उड़ गई रे,
सांवरिया,
मेरी तो पतंग उड़ गई रे।

फ़ासले मिटा दो आज सारे,
हो गए जी आप तो हमारे
मन का पंछी डौल रहा,
पीहू पीहू बोल रहा,
मेरी तुमसे डोर जुड़ गयी रे,
मेरी तो पतंग उड़ गई रे,
सांवरिया,
मेरी तो पतंग उड़ गई रे।।

तुम हो जिंदगी के इक सहारे,
नहीं कोई दूजा बिन तुम्हारे,
मैंने तुझे जान लिया,
अपना तुझे मान लिया,
मेरी तुमसे डोर जुड़ गयी रे,
मेरी तो पतंग उड़ गई रे,
सांवरिया,
मेरी तो पतंग उड़ गई रे।।

तुम हो लखदातार मेरे,
तुम ही हो सरकार मेरे,
हारे के सहारे हो तुम,
नदिया के किनारे हो तुम,
मेरी तुमसे डोर जुड़ गयी रे,
मेरी तो पतंग उड़ गई रे,
सांवरिया,
मेरी तो पतंग उड़ गई रे।।

थाम लिया हाथ जब से तेरा,
हो गया आसान सफर मेरा,
खिल रही है कली कली,
नाचूं आज गली गली,
मेरी तुमसे डोर जुड़ गयी रे,
मेरी तो पतंग उड़ गई रे,
सांवरिया,
मेरी तो पतंग उड़ गई रे......
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