माँ के दर जाना है

नवरात्रे है जब आते,
सब मैया के गुण गाते,
नवरात्रे है जब आते,
सब मैया के गुण गाते,
हँसते गाते ढोल बजाते,
सब है ये ही कहते,
माँ के दर जाना है जी माँ के दर जाना है,
माँ के दर जाना है जी माँ के दर जाना है।

नवरात्रे है जब आते,
पर्वत पर मेले लगते,
नवरात्रे है जब आते,
पर्वत पर मेले लगते,
माँ के जयकारे बोल के प्यारे,
सब है ये ही कहते,
माँ के दर जाना है जी माँ के दर जाना है,
माँ के दर जाना है जी माँ के दर जाना है।

खो कर के मांगी धूनी,
कर जाप उसी का गण में,
हर भक्त यही है कहता,
मेरी माँ बसी कण कण में,
जय माता दी, जय माता दी,
जो सर्व कलाओं में है,
जो कल्प लताओं में है,
जब अंतर मन से देखे वो दसो दिशाओं में है,
बोल के उसकी जय,
सब है ये ही कहते,
माँ के दर जाना है जी माँ के दर जाना है,
माँ के दर जाना है जी माँ के दर जाना है,
नवरात्रे है जब आते,
सब मैया के गुण गाते.......

जब करेंगे माँ का दर्शन,
हो जायेगा शीतल तन मन,
सब सिद्ध मनोरथ होंगे,
ना दुःख के रहेंगे बंधन,
जय माता दी. जय माता दी,
हो जायेगा हर सुख हासिल,
कदमो में होगी मंज़िल,
आसान करेगी पल में माँ सौ जन्मो की मुश्किल,
बोल के उसकी जय इसीलिए सभी कहते,
माँ के दर जाना है जी माँ के दर जाना है,
माँ के दर जाना है जी माँ के दर जाना है,
नवरात्रे है जब आते,
पर्वत पर मेले लगते,
माँ के जयकारे बोल के प्यारे,
सब है ये ही कहते,
माँ के दर जाना है जी माँ के दर जाना है,
माँ के दर जाना है जी माँ के दर जाना है........
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