धुन- पर्वत के पीछे चम्बे का गाँव
पर्वत की चोटी, चोटी पे ज्योति,
ज्योति दिन रात जलती है ll
हो,,, झिलमिल सितारों की, ओढ़े चुनर माँ,
शेर पे सवार मिलती है,
ज्योति दिन रात जलती है l
लाल चुनरिया, लाल घगरिया, माँ के मन भाए ll
लाल लांगुरिया, लाल ध्वजा, मईया की लहराए l
करे नजरिया, जिसपे मईया, भाग्य चमक जाए,
है इतनी भोली, भरती है झोली,
पूरा हर सवाल करती है,,,
पर्वत की चोटी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
स्वर्ग से सुन्दर, भवन बना, माँ का प्यारा प्यारा ll
साँची माता, रानी का है, ये साँचा द्वारा l
अजब नजारा, जगदम्बे का, है जग से न्यारा,
दुष्टों को मारे, भक्तो को तारे,
मईया चमत्कार करती है,,,
पर्वत की चोटी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
तीनो लोकों, में बजता, भोली माँ का डंका ll
दसों दिशाएं, गूंजे बाजे, चौरासी घंटा l
ढोल नगाड़े, बजे भवन में, मिटती हर शंका,
संग में बजरंगी, लांगुर सत्संगी,
मईया लेके साथ चलती है,,,
पर्वत की चोटी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल