जो भी धाम चन्दीपुर में आता भाग्य जग जाता है
वो जीवन का सारा सुख है पाता भाग्ये जग जाता है,
रेहती याहा पे है चंदीपुर की माता नो दिन होता वाहा पे जगराता,
जो भी श्रधा से शीश है झुकाता भाग्ये जग जाता है,
फूल कलि माँ की है बड़ी प्यारी यादे जो भी आये धाम पूरी होती है मुरादे
जो भी एक बार दर्शन को है आता
भाग्ये जग जाता है,
माँ का है दरबार ये तो बड़ा पावन अरुण मिशरा ने बनवाया है लुभावन
भजन सातिंदर सब को सुनाता भाग्ये जग जाता है,