कभी मईया के मंदिर में गया ही नहीं,
फिर भक्त कहलाने से क्या फायदा,
माँ का ध्यान कभी लगाया नहीं,
सिर्फ दीपक जलाने से क्या फायदा।
लाख माथे पे अपने तू चंदन लगा,
बिना पूजा कुम कुम के टिका लगा,
गुणगान कभी माँ का किया ही नहीं,
उपदेश सुनाने से क्या फायदा,
कभी मईया के मंदिर में गया ही नहीं,
फिर भक्त कहलाने से क्या फायदा।
रोज़ तन को तो पानी से धोया मगर,
मन के मैल को अब तक मिटाया नहीं,
सच्चा प्रेम अपने दिल में बसाया नहीं,
गंगाजल में नहाने से क्या फायदा,
कभी मईया के मंदिर में गया ही नहीं,
फिर भक्त कहलाने से क्या फायदा।