हे पापविनाशिनी मईया, जगजननी तू है जगतारिणी,
भक्तों के दुख हर ले श्यामा, मईया तू है दुखहारिणी ॥
जप-तप-योग कुछ नहीं जाने, पुत्र तेरा नादान है,
तुझ तक पहुंचे किस राह से, वो बिल्कुल अंजान है ॥
विनती तुझसे है माता, हाथ बढ़ाकर थाम मुझे,
कोई गैर नही हूँ मैं माता, अपना ही बालक जान मुझे ॥
है घोर अंधेरा जीवन में, चिन्ताओं के बादल छाए हैं,
दुःख दारिद्र्य ने मुझको घेर लिया, रोम रोम घबराए हैं ॥
हे माता जगदम्ब भवानी, तुझसे बढ़कर कौन परउपकारी है,
मईया मेरी दया दिखा दे, मुझ पर भीड़ पड़ी अब भारी है ॥
नवीन झा * Sundaram *