तेरी जटा से बहती रहते है गंगा की धरा शंकरा हे मेरे शंकरा,
तेरी जटा से बहती रहते है गंगा की धरा शंकरा हे मेरे शंकरा......
खाने को है कंद मूल पीने को भंग है,
उड़ते रहते है बार बार बारी के तरंग है...-2
कानो में कुण्डल सुन्दर सोहे, गले नाग की माला शंकरा हे मेरे शंकरा,
तेरी जटा से बहती रहते है गंगा की धरा शंकरा हे मेरे शंकरा………
हाथो में त्रिशूल सोहे मस्तक पर चंद्र है
पहने है मृग छाला भोले नील कंठ रंग है....-2
गौरी संग में साथ गणपति, रहते है कैलाशा शंकरा हे मेरे शंकरा,
तेरी जटा से बहती रहते है गंगा की धरा शंकरा हे मेरे शंकरा....