हंस वाहिनी सुर की देवी

हंस वाहिनी सुर की देवी,
तेरे शरन मे आए हैं,
हम अज्ञानी, ज्ञान की देवी,
हमपे तुम उपकार करो,
सरस्वती मां हम बच्चों को भी तुम थोड़ा प्यार करो,
कंठ विराजो जे तुम मइया, गुंगा भजन सुनाए है,
हंस वाहिनी सुर की देवी,
तेरे शरन मे आए हैं॥

सुर की देवी सरस्वती,ज्ञान की ज्योत जलाती हो,
जग को जिता हैं उसने, जिसपे तुम नयन घुमाती हो,
ऋषि मुनि संतों ने मइया, तेरी महिमा गाए हैं
हंस वाहिनी सुर की देवी,
तेरे शरन मे आए हैं॥

पाप बड़ा ज्यादा रावन का, तुमको जब एहसास हुआ,
मती फेर दि रावन की, तो उसका विनाश हुआ,
विणा धारक,कष्ट निवारक, मंत्र तेरे अपनाए हैं,
हंस वाहिनी सुर की देवी,
तेरे शरन मे आए हैं॥

शब्दों में सुर को मिलाके, जग का है उद्धार किया,
दे दो ज्ञान हमें हे मइया, विनती है हर बार किया+2
पावन चरणों में तेरे हम, अपने शीश झुकाए हैं,
हंस वाहिनी सुर की देवी,
तेरे शरन मे आए हैं॥
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