जब जब तेरी चौखट पे

जब जब तेरी चौखट पे कोई नीर बहाता है,
उस प्रेम में ऐ कान्हा तू भी बह जाता है॥

तेरे मित्र सुदामा जी तुझे मिलने आए थे,
आंसू से प्रभु तुमने फिर चरण धुलाये थे,
भक्तों के अश्कों का यू मोल चुकाता है,
जब जब तेरी चौखट पे.......

नरसी ने प्रभु तुझ पर विश्वास किया भारी,
उस भगत की हुंडी तो तूने ही स्वीकारी,
बनाने का भाई तू धीर बंधाता है,
जब जब तेरी चौखट पे.......

मीरा के अश्कों में तेरी प्रेम कहानी थी,
तू उसका दीवाना था वह तेरी दीवानी थी,
तू जहर के पहले को अमृत कर जाता है,
जब जब तेरी चौखट पे.......

जब हार के ‘रोमी’ भी कुछ कह नहीं पाता है,
वह भी तेरे चरणों में आंसू ही बहाता है,
हर बार तू आकर के उम्मीद जगाता है,
जब जब तेरी चौखट पे.......
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