राणा जी तेरे महलों में हम ना रहे,
मैं तो चली वृंदावन नगरिया, मेरे सोए भाग जगे,
राणा जी तेरे महलों में हम ना रहे...
संतों की संगत में रहूंगी,
लेकर इकतारा नाचूंगी,
श्याम नाम की जोगन बन ब्रजरज माथे पर सजे,
राणा जी तेरे महलों में हम ना रहे...
घास फूस की कुटिया बनाऊंगी,
सांवरिया का उसमें मंदिर बनाऊंगी,
तुलसी के वहां बाग लगे मेरे दिल में श्याम रहे,
राणा जी तेरे महलों में हम ना रहे...
ना चाहिए तेरा सोना चांदी,
ना चाहिए तेरे हीरे मोती,
गहरा घाव लगा मेरे दिल गली तुलसी माला सजे,
राणा जी तेरे महलों में हम ना रहे...
गोविंद जी का नाम रटूगी,
राधे राधे श्याम जपूंगी,
चाहे दुनिया कुछ भी कहे चाहे दामन दाग लगे,
राणा जी तेरे महलों में हम ना रहे...