मुझे कोख में क्यों मारा मैया,
एक बेटी ने ये पुकारा है,
केवल मेरा बेटी होना,
मैया क्या दोष हमारा है,
मुझे कोंख में क्यों मारा मैया...
सतयुग त्रेता द्वापर आया,
कलियुग की यही कहानी है,
बेटा तो राजा है घर का,
पर बेटी तो बेगानी है,
क्या दशरथ क्या धृतराष्ट्र सुनो,
सब बेटा बेटा पुकारा है,
मुझे कोंख में क्यों मारा मैया,
एक बेटी ने ये पुकारा है....
नौ रात्र में दुर्गा रूपों की,
पूजा अर्चन करवाते हो,
छोटी कंजक के रूप मुझे,
श्रद्धा से घर में लाते हो,
पर कोंख में ज्यूँ ही आती हूँ,
तत्काल मुझे मरवाया है,
मुझे कोंख में क्यों मारा मैया,
एक बेटी ने ये पुकारा है....
कलियुग के बेटो ने मैया,
तुझे वृद्धाश्रम पहुँचाया है,
पर आज की बेटी ने सुनलो,
माँ बाप को तो अपनाया है,
बेटी जो आज की है मैया,
माँ बाप का बनी वो सहारा है,
मुझे कोंख में क्यों मारा मैया,
एक बेटी ने ये पुकारा है....
कब तक द्रोपदी की लाज हे माँ,
सड़को पे उतारी जाएगी,
पैदा होने से पहले ही,
बेटी क्यों मारी जाएगी,
चन्दन बेटी कहे रो रो के,
माँ क्या अपराध हमारा है,
मुझे कोंख में क्यों मारा मैया,
एक बेटी ने ये पुकारा है.....