रात को श्याम सपनों में आया कैसे कह दूं कि आया नहीं है,
आकर उसने गले से लगाया कैसे कह दूं लगाया नहीं है......
सिर पर मोर मुकुट था उसके, गले में मोतियों की माला,
आंख में उसने काजल लगाया कैसे कह दूं लगाया नहीं है,
रात को श्याम सपनों में आया......
हाथ में बांसुरी थी उसके, मोहनी सुर बने थे उसके,
उसने सारे जगत को नचाया कैसे कह दूं नचाया नहीं है,
रात को श्याम सपनों में आया......
देखकर आंसू मेरे नयन के फिर बोला है नटखट वह मुझसे,
मैं सदा तेरे दिल में समाया कैसे कह दूं समाया नहीं है,
रात को श्याम सपनों में आया......
पास आकर के बैठा है मेरे मैंने सांवली सूरत को देखा,
उसने रूप चतुर्भुज दिखाया कैसे कह दूं दिखाया नहीं है,
रात को श्याम सपनों में आया.....