सखी मैं दीवानी हो गई

मुरली बजाने रास राचने आये हैं मेरे श्याम,
सखी मैं दीवानी हो गई,

मोर मुकुट सोहे, कान में कुंडल,
श्यामल वर्ण, चंद्र मुख मंडल,
कंठ में माला, भुजा विशाला,
देख के उसका, रूप निराला,
मैं तो बिकी बिन दाम, सखी मैं......

मोहिनी सूरत, बदन गठीला,
है चितचोर ये, छैल छबीला,
नज़रें मिला के, दिल को चुरा के,
प्रेम के झूठे, ख्वाब दिखा के,
कर दे नींद हराम, सखी में.....

पाऊं में पैजनियां करे रुनझुन,
गूंज उठे जब मुरली की धुन,
लव कुश गायें, सब को सुनायें,
"दास" लिखे जो कलाम, सखी में दीवानी...

रचना अशोक शर्मा "दास"
स्वर लव कुश
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