मेरे श्याम जी की, खाटू धाम जी की,
बड़ी जादू भरी है तेरहा सीढ़ियां……
पहली सीढी पर जब पांव पड़ता,
शीश बाबा के चरणों में झुकता,
दूसरी सीढी पर जब पांव पड़ता,
नाम बाबा का मुख से निकलता,
तीसरी सीढ़ी चढ़कर उनके बंधन खुलते,
पाप कर्मों की कट जाती बेड़ियां………..
मेरे श्याम जी की, खाटू धाम जी की,
बड़ी जादू भरी है तेरहा सीढ़ियां………
चौथी सीढी पर जब पांव पड़ता,
तार भक्ति का बाबा से जुड़ता,
पांचवी सीढी पर जब पांव पड़ता,
दीप हृदय में भक्ति का जलता,
छठी सीढी चड़के, फूल मन के खिलते,
जलने लगती है यज्ञों सी बेड़ियां………
मेरे श्याम जी की, खाटू धाम जी की,
बड़ी जादू भरी है तेरहा सीढ़ियां………
सातवीं सीढी पर जब पांव पड़ता,
प्यासी अंखियों को दीदार मिलता,
आठवीं सीढी पर जब पांव पड़ता,
सुन के जय कारे अंग अंग झूमता,
नवमी सीढी चड़के, बादल उनके छठ दे,
तृप्त हो जाती मन की इंद्रियां……….
मेरे श्याम जी की, खाटू धाम जी की,
बड़ी जादू भरी है तेरहा सीढ़ियां…….
दसवीं सीढी पर जब पांव पड़ता,
मैं मेरी का अभिमान मरता,
11वीं सीढी पर जब पांव पड़ता,
पाप संताप जन्मों का मिटता,
बाकी सीढ़ी चड़दे, और मचाते भर दे,
और दिखने लगती है, स्वर्ग जैसी सीढ़ियां……..
मेरे श्याम जी की, खाटू धाम जी की,
बड़ी जादू भरी है तेरहा सीढ़ियां…….
तेरहा वीं सीढी पर जब पांव पड़ता,
दिल बाबा से फरियाद करता,
यूं ही रखना तुम कृपा बना के,
सबको रखना चरणों में लगा के,
गाए भक्ति नरेश काटो सबके क्लेश,
राजा रानी की तारों सातों पीढ़ियां……..
मेरे श्याम जी की, खाटू धाम जी की,
बड़ी जादू भरी है तेरहा सीढ़ियां……