श्यामा के दरबार आई रे होली,
श्यामा के दरबार आई रे होली.....
आज ब्रिज में होरी रे रसिया,
होरी रे होरी रे बरजोरी रे रसिया,
आज ब्रिज में होरी रे रसिया....
तुम झोली भर लो भक्तो रंग और गुलाल से,
होली खेलेंगे हम तो गिरधर गोपाल से,
कैसा जादू सांवरिया है तेरे प्यार में,
दीवाना होकर नाचूं तेरे दरबार में....
हमको दीदार तुम्हारा हो,
हमको दीदार तुम्हारा हो,
इस बार के हर बार के,
इस बार के फागण मेले में बस एक निशान हमारा हो,
हमको दीदार....
ऐसो चटक मटक सो ठाकुर,
तीनों लोकन में हू नाही,
लोकन में हू नाही, तीनो लोकन में हू नाही,
नजरें मिलाकर श्याम जरा,
नजरें मिलाकर श्याम जरा मुस्कुराइए....
नगरी नगरी द्वारे द्वारे ढूंढो रे सांवरिया,
ढूंढो रे सांवरिया हो गई मैं बावरिया,
नगरी नगरी.....